Black fungus infections– कोरोना के कारण कई अनदेखी, अनजानी चीजें हो रही हैं. पिछले कुछ दिनों में Covid-19 patient में Black fungus infections के मामले देखे गए हैं. पिछले साल दिसंबर में इस तरह के कुछ मामले देखे गए थे जिसमें मरीजों की आंख की रोशनी चली गई थी. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के मुताबिक यह बीमारी दुर्लभ और जोखिमपूर्ण है. यह फफूंद यानी फंगस के समूह द्वारा होती है जिसे mucormycetes कहा जाता है. आमतौर हमारे वातावरण में फफूंद का यह समूह पाया जाता है.
क्या है Black fungus infections
कोरोना से संक्रमित मरीज या कोरोना से स्वस्थ्य हुए मरीज में Black fungus infections देखा गया है. Black fungus infections आमतौर पर उन लोगों में होता है जिनका शरीर किसी बीमारी से लड़ने में कमजोर होता है. वह आदमी अक्सर दवाई लेता है और उसमें कई तरह की हेल्थ प्रोब्लम होती है.
क्या है इसके लक्षण
इस बीमारी के बाद चेहरे में सून्नापन आने लगता है. इसके अलावा एक तरफ की नाक भी बंद होने लगती है. आंखों में दर्द और सूजन की शिकायतें आने लगती है.
कौन Black fungus से संक्रमित हो सकता है
इस घातक बीमारी को फिर से होते हुए देखा है. यह कोविड-19 के कारण होती है. पिछले दो दिनों में mucormycisis के 6 केसेज आए हैं. पिछले साल इस बीमारी के कारण कई लोगों की जान गई थी और कई की आंखों की रोशनी चली गई थी. इसके अलावा कुछ लोगों को नाक और जबड़े को हटाना पड़ा. ENT विभाग के ही डॉ अजय स्वरूप ने बताया कि डायबीटिज से पीड़ित कोरोना के मरीजों को स्टेरॉयड दिया जाता है. ऐसे मरीजों में ब्लैक फंगल इंफेक्शन का जोखिम रहता है. इसके अलावा कोविड से संक्रमित वीक इम्यूनिटी वाले मरीजों में भी इस बीमारी का जोखिम है.
क्या यह बीमारी घातक है
अगर लंबे समय तक इसका इलाज नहीं कराया जाए तो यह घातक हो सकता है. पिछले साल अहमदाबाद में इस तरह के 5 मरीज मिले थे. इनमें से या तो ये कोरोना संक्रमित थे या कोरोना से ठीक हो गए थे. इनमें से दो लोगों की मौत हो गई जबकि दो लोगों की आंखों की रोशनी चली गई.
इसका इलाज क्या है
माना जाता है कि इस बीमारी से आधे लोगों की मौत हो जाती है. हालांकि अगर शुरुआती दौर में बीमारी की पहचान कर ली जाए तो रिजल्ट बेहतर आता है. नाक में बाधा, आंख और गाल में सूजन और काली पपड़ी जैसे लक्षण दिखे तो बायोप्सी से इंफेक्शन के बारे में पता लगाया जा सकता है. अगर शुरुआती दौर में एंटीफंगल थेरेपी शुरू कर दी जाए तो मरीज की जान बच सकती है.